नाम By Nazm << कहानी किताबों का रसिया >> जो तुम्हारे कान में फूँका गया था वो तुम्हारा नाम कब था वो तो हुस्न-ए-ऐब है जो इस को उस से जुदा करता है आओ सारे इस्म-ए-फ़र्ज़ी भूल जाएँ और ये भी भूल जाएँ हम कि कुछ भूले हुए हैं याद भी एक बोझ है इस क़दर लम्बे सफ़र में Share on: