जब बहार-रुत आए बाग़ फूल महकाएँ बारिशों का मौसम हो बदलियाँ बरस जाएँ सुख रुतों की डाली पर चैन प्यार झूमाएँ अपने मन के महरम को कोई गर सदाएँ दे अपनी जाँ का नज़राना शम्अ' पर लुटाए जो सावनों के मौसम में ऐसा देखो परवाना बदलियों की छाँव में बारिशों के मौसम में देखो तुम समझ जाना देखो तुम भी लौट आना कोई राह तकता है