आम की शाख़ों में मोजर इस साल बहुत कम आया है क्यों देर से कोयल कूक रही है क्या समझूँ फ़ितरत के इशारे हँस कर इक भोले बच्चे ने भी साथ ही उस के कूक शुरूअ' की जैसे चिड़ाना चाहता हो वो कोयल की इस कू हू कू हू पर या फिर दोनों ही वाक़िफ़ हों बाग़ की भीनी ख़ुशबुओं से हवा के झोंके क्या कहते हैं डालियाँ झुक कर क्या सुनती हैं ग़ौर से कोयल की सुर्ख़ आँखें देख के बच्चा बोल उठा क्यों कूकती है क्यों रोती है तू आम के फलने और न फलने से कोयल प्यारी कोयल तुझ को फ़ाएदा ही क्या होगा मोजर आए न आए तेरी बला से चुप रह कोयल रंज न कर जा उड़ जा मैं ने सुना है आम के फलते तेरा तो मुँह पक जाएगा