लगी आग दिल की बुझाएँगे क्यूँकर तबीअत को रस्ते पे लाएँगे क्यूँकर जो बे-दर्द हैं रहम खाएँगे क्यूँकर वो भूले से घर मेरे आएँगे क्यूँकर बला से कोई इश्क़ में ख़ार भी हो ग़म-ओ-रंज-ए-पैहम से नाचार भी हो सलामत रहें दिल के तड़पाने वाले तमन्नाएँ मेरी न बर लाने वाले सवाल-ए-मोहब्बत को ठुकराने वाले न पास आने वाले न काम आने वाले उन्हें क्या त'अल्लुक़ फ़ुग़ाँ-ओ-बुका से फ़क़त काम रहता है क़हर-ओ-जफ़ा से