लास्ट कॉल

कल हमेशा की तरह उस ने कहा ये फ़ोन पर
मैं बहुत मसरूफ़ हूँ मुझ को बहुत से काम हैं

इस लिए तुम आओ मिलने मैं तो आ सकती नहीं
हर रिवायत तोड़ कर इस बार मैं ने कह दिया

तुम जो हो मसरूफ़ तो मैं भी बहुत मसरूफ़ हूँ
तुम जो हो मशहूर तो मैं भी बहुत मारूफ़ हूँ

तुम अगर ग़मगीन हो मैं भी बहुत रंजूर हूँ
तुम थकन से चूर तो मैं भी थकन से चूर हूँ

जान-ए-मन है वक़्त मेरा भी बहुत ही क़ीमती
कुछ पुराने दोस्तों ने मिलने आना है अभी

मैं भी अब फ़ारिग़ नहीं मुझ को भी लाखों काम हैं
वर्ना कहने को तो सब लम्हे तुम्हारे नाम हैं

मेरी आँखें भी बहुत बोझल हैं सोना है मुझे
रतजगों के बा'द अब नींदों में खोना है मुझे

मैं लहू अपनी अनाओं का बहा सकता नहीं
तुम नहीं आतीं तो मिलने मैं भी आ सकता नहीं

उस को ये कह के 'वसी' मैं ने रिसीवर रख दिया
और फिर अपनी अना के पाँव पे सर रख दिया


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