मैं नहीं चाहता कोई बच्चा रेल-गाड़ी का फ़र्श साफ़ करे नट की रस्सी पे अब नज़र आए जिस्म को मोड़ने का फ़न सीखे शेर के मुँह में हाथ को डाले तपते भट्टों की ईंट को ढोए होटलों और शराब-ख़ानों की अपने दामन से मेज़ साफ़ करे साँप को रख के इक पिटारे में शाह-राहों पे भीक भी माँगे नाच-गाने से सब को ख़ुश कर दे बूट पॉलिश में ख़ूब माहिर हो माँ के आँचल से दूर हो जाए बाप के साथ काम पर जाए मैं तो ये चाहता हूँ हर बच्चा अपने बचपन में सिर्फ़ बच्चा हो