इक अहल-ए-नज़र ने ये हम से कहा था कि मरकज़ से रिश्ते को मज़बूत रखना मिसाल ऐसी सच्ची खुली उस ने दी थी कि पत्ता कोई टूट जाए शजर से उतर जाएगा वो हर इक की नज़र से ठिकाना न उस को मिलेगा कहीं पर भटकता फिरेगा वो रू-ए-ज़मीं पर इक अहल-ए-नज़र ने ये हम से कहा था कि मरकज़ से रिश्ते को मज़बूत रखना