इस गली का सिरा भी कहीं की सड़क पर ही उगलेगा तारीक मुँह फ़ाड़ती इस गली में उतर जाओ गहरे उतर जाओ बदबू दिमाग़ों में भरती है भर जाए ग़म मत करो पीप ख़ून और मेदे की सब गंदगी साफ़ कपड़ों पे आती है आ जाए ग़म मत करो उस गली में उड़ कर भटकना है टकराते फिरना है खो जाओ टकराओ ग़म मत करो मौत माँ की तरह साथ है मौत बदबू अँधेरा थकन पीप ख़ूँ और मेदे की सब गंदगी को निगल जाएगी आगे बढ़ो और गहरे उतर जाओ गहरे उतर जाओ