मेरा वजूद By Nazm << जश्न-ए-आज़ादी कुल्लिया >> फैलूँ तो सागर बन जाऊँ और सिमटूँ तो बूँद चाहूँ तो वो सरहद छू लूँ मौत जहाँ घबराए और गिरूँ तो ख़ुद ही अपनी नज़रों से गिर जाऊँ Share on: