मेरी मोहब्बत चाहती है मीनारे घर के शिवालों के कुछ बातें मक्के वालों की कुछ क़िस्से बनारस वालों के मेरी तमन्ना सूरज बन के चमकती है गुलज़ारों पर मेरी मोहब्बत साया बन के ठहरती है दिल-दारों पर रौशनी मेरी बुलंदी बन के चमकी चाँद सितारों में मैं ने गुलाब की आँखें देखीं अपने घर की बहारों में मेरे लिए त्यौहार की रातें अब भी दिए जलाती हैं मेरे लिए हर देस की यादें अब भी नाचने आती हैं