मैं जलता रहता हूँ दो हिस्सों में मैं जीने की कोशिश नहीं करता लोग मुझे जीना चाहते हैं यूँही बिखरे वजूदों में वो मुझे चुन चुन कर ओढ़ लेते हैं भूके पेटों बे-हयात पोरों में कोई लफ़्ज़ नहीं होता जाने क्यों मैं उन की ज़बान की गाली बन जाता हूँ मैं नंग-ए-नफ़स में उठता हूँ बैठता हूँ कोई ग़ैर-मरई क़ुव्वत मुझे अपने तबक़े से चिपकाए रखती है जब कभी मैं ख़ुद को उन से अलग करना चाहता हूँ हमेशा की तरह दरवाज़े के बाहर रह जाता हूँ मुझे ढूँढना बड़ा आसान है मुझे ढूँडने के लिए हर हुक्मरान अपनी लुग़त रखता है