तन्क़ीद By Nazm << एक दिल एक आवाज़ मुलाक़ात >> पिछली रात को जिस बिस्तर पर फूल खिले गजरे महके कंगन की झंकार हुई जिस्मों के जलते लहराते शो'लों ने सरगोशी की सुब्ह हुई तो उस बिस्तर की शिकनें गिनता है कोई Share on: