सुकूत-ए-शब की है जल्वा-फ़रोशी है मौजूदात पर छाई ख़मोशी फ़ज़ा-ए-शाम को नींद आ रही है मनाज़िर पर सियाही छा रही है है बदला रंग दिन के शोर-ओ-शर का हुआ तारीकियों का दौर-दौरा रुका हंगामा-हा-ए-दिन का महशर बढ़ा शब का सकूँ-बर-दोश मंज़र है आख़िर रोज़-ए-रौशन की कहानी हुई तारीक बुर्द-ए-आसमानी गया राहत-कदे में महर-ए-ताबां हुए अनवार आतिश-बार-ए-पिन्हाँ है तारीकी पयाम-ए-ख़्वाब-नोशीं ख़मोशी है नवेद-ए-रंग-ए-तस्कीं फज़ा-ए-ग़र्ब है पैग़ाम-ए-राहत उफ़क़ की ख़ामुशी इल्हाम-ए-राहत है रंगीनी फ़ज़ा की कैफ़ इशरत शफ़क़ की सुर्ख़ियाँ सामान-ए-फ़रहत हवाओं में भरे हैं नग़्मा-ए-शब है राहत-ज़ा रबाब-ए-ज़ख़्म-ए-शब हुआ रौशन निगार-ए-शब का जल्वा हैं तनवीरें फ़लक पर कार-फ़रमा सितारों की तबस्सुम-बारियों में कवाकिब की मुनव्वर धारयों में सुतूर-ए-कहकशाँ की लग़्ज़िशों में सुरय्या की मजल्ला ताबिशों में फ़ज़ा-ए-सीम आरा-ए-फ़लक में उफ़ुक़ की रौशन-ओ-ज़र्रीं झलक में ज़िया-अफ़रोज़ है माह-ए-दरख़्शाँ लबों की ताबिशें हैं ख़ंदा-अफ़्शाँ फ़ज़ा-ए-आसमानी रह-गुज़र है मुसाफ़िर रात का गर्म-ए-सफ़र है सियाही शब की है हमराज़-ओ-हमदम सुकूत-ए-शाम है दम-साज़ ओ महरम है तन्हाई से रस्म-ए-आश्नाई ख़याल-ए-मा-सिवा से बे-नियाज़ी सफ़र की कैफ़ियत मद्द-ए-नज़र है कि तख़्ईल-ए-सफ़र लुत्फ़-ए-सफ़र है ख़बर ही कुछ नहीं हद्द-ए-सफ़र की न कुछ परवाह तूल-ए-रह-गुज़र की ख़मोश ओ मुतमइन है जादा-पैमा जबीं पर इस्तक़ामत जल्वा-फ़रमा सुकूत-ए-शब में जो यूँ सरगिराँ है मह-ए-कामिल तिरी मंज़िल कहाँ है तिरी रहबर उफ़क़ की ख़ामुशी है अनीस ओ हम-सफ़र इक चाँदनी है कमाल-ए-ज़ीस्त तेरी जुस्तुजू है ये तर्ज़-ए-सई हद्द-ए-आबरू है सबक़-आमोज़ तेरी दास्ताँ है तुझे हासिल कमाल-ए-कामराँ है तिरी सई-ए-अमल ला-इंतिहा है अबद तक इस सफ़र का सिलसिला है