जिस के झूटे प्यार पे हम ने सच्चाई के सारे नग़्मे सारे क़िस्से उस के पाँव पे ला रक्खे लेकिन उस की फ़ितरत के हरजाई-पन से जो कुछ हमें मयस्सर आया उस का क्या अहवाल सुनाएँ कैसे माह-ओ-साल बताएँ ख़ुद से ही शर्मिंदा हैं सारे सपने टूट गए देखो फिर भी ज़िंदा हैं