ना-माक़ूल By बाल कविता, Nazm << क़द्र झूट >> आज इक उस्ताद ने जल कर कहा सब के सब शागिर्द ना-माक़ूल हैं एक कोने से किसी ने दी सदा आप ही के बाग़ के हम फूल हैं Share on: