सुब्ह सवेरे जागी थी अम्माँ अम्माँ उठ ना अम्माँ ये दो वो दो ये नाँ वो नाँ जेब भरी और भागी नन्ही नाश्ता नन्ही आ गई नन्ही पानी पी कर उट्ठी है यूँ रोटी रक्खी है जूँ की तूँ सारा अण्डा खा गई नन्ही नन्ही गुड़िया खेल रही है गुड़िया को अब नींद आएगी उट्ठेगी तो क्या खाएगी नन्ही रोटी बेल रही है नन्हा उस का छोटा भाई पूरा बमपट भारी नट-खट हर दम नन्ही से है खटपट छीन झपट कोहराम लड़ाई अब्बा अच्छे हैं या अम्माँ बोलो तो नन्ही कौन अच्छा डिप्लोमेटिक है जवाब उस का अब्बा अम्माँ अब्बा अम्माँ जाने क्या क्या बोल रही है दादी अम्माँ से है गलवात नन्ही की मीठी मीठी बात कानों में रस घोल रही है घर भर की ज़बाँ पर उस का नाम ये ला नन्ही वो ला नन्ही पंखा नन्ही पेढ़ा नन्ही तुल तुल करती है वो सब काम