दुनिया में बे-मिसाल है नानी का पानदान वाबस्ता उस की ज़ात से है एक दास्तान पेन्दा अलग है जिस से बँधा एक तार है सर-पोश का भी बीच से सीना-फ़िगार है अश्या-ए-ख़ुर्दनी की भी इस में क़तार है नानी को इस से शग़्ल में लुत्फ़-ए-बहार है मुमकिन नहीं कि इस से जुदा हों वो एक आन दुनिया में बे-मिसाल है नानी का पानदान कत्थे में डूबी देखिए राशन की है रसीद अक्सर इसी में नोटों की मिट्टी हुई पलीद पैसों की पोटली भी मिले इस में क्या बईद इस का वजूद सब के लिए है बहुत मुफ़ीद वाक़िफ़ है उस के जौहर-ए-ज़ाती से ख़ानदान दुनिया में बे-मिसाल है नानी का पानदान कुल्हियों के बदले चीनी के टूटे पियाले हैं काफ़ूर हींग सौंफ पचीसों मसाले हैं बीसों बरस के चंद पुराने रिसाले हैं कुछ खेत की रसीदें हैं फटे क़बाले हैं नाना के कुछ ख़ुतूत बढ़ाते हैं इस की शान दुनिया में बे-मिसाल है नानी का पानदान बस्ती के सब बुज़ुर्ग भी मिल बैठें गर बहम मुश्किल से इस की उम्र कोई कर सके रक़म इतनी सी बात है जो 'ज़की' जानते हैं हम नानी जिसे सुनाती हैं अक्सर ब-चश्म-ए-नम नानी की नानी ने भी लगाए थे इस से पान दुनिया में बे-मिसाल है नानी का पानदान