नया जन्म By Nazm << तुम्हारी आँखें चरस >> तमाम मासूम आरज़ूएँ जो मेरे बचपन की हम-सफ़र थीं अब इक नया रंग रूप ले कर मिरे लबों पर मचल रही हैं दुआ की सूरत उभर रही हैं Share on: