नुमू By Nazm << क़ैद-ए-हस्ती ख़्वाब >> नुमू में जिस की करिश्माती कैफ़ियत थी बहुत ज़मीं थी सख़्त नुमू को मगर न रोक सकी गुज़रते वक़्त ने आब-ओ-हवा के तेवर ने दिखाए रंग कई कुछ असर हुआ न मगर तो हो गए मायूस फिर एक दिन तनावर शजर का रूप लिए नुमू का अपनी करिश्मा दिखा दिया उस ने Share on: