पहली बारिश By Nazm << सियाही-ए-शब मैं माज़ी नहीं हूँ >> सूखी धरती पे जब पहली बूँदें गिरीं झुक गया आसमाँ जिस्म छूने लगी ठंडी ठंडी हवा हड्डियाँ चटचटाने लगीं ख़ून शिरयान में सरसराने लगा ज़ेहन-ओ-दिल झनझनाने लगा तुम मुझे याद आने लगे याद आने लगे Share on: