पानी को इस्ति'माल करो एहतियात से और इस की देख-भाल करो एहतियात से पानी तो एक ने'मत-ए-पर्वरदिगार है पानी मिले तो बाग़ है रंग-ए-बहार है पानी से लाला-ज़ार रह-ए-ख़ार-दार है पानी का हर किसी को यहाँ इंतिज़ार है पानी को इस्ति'माल करो एहतियात से और इस की देख-भाल करो एहतियात से पानी मिले तो रहती है खेतों में ज़िंदगी पानी से है किसान की आँखों में रौशनी पानी से ही ज़मीन की मिट्टी में है नमी पानी से दूर होती है हर इक की तिश्नगी पानी को इस्ति'माल करो एहतियात से और इस की देख-भाल करो एहतियात से पानी बड़ी ही क़ीमती दौलत है बे-गुमाँ पानी से है हमारे बदन में लहू रवाँ पानी से बीज होता है ज़ेर-ए-ज़मीं जवाँ पानी अगर मिले तो है सहरा भी गुल्सिताँ पानी को इस्ति'माल करो एहतियात से और इस की देख-भाल करो एहतियात से अल्लाह का करम है जो पानी हमें दिया लाज़िम है शुक्र उस का करे हर कोई अदा कब होती ज़िंदगी जो वो पानी न भेजता होता ज़मीन का तो नज़ारा ही कुछ जुदा पानी को इस्ति'माल करो एहतियात से और इस की देख-भाल करो एहतियात से हर जान-दार करने लगा है यही सवाल पानी अगर न होता तो क्या होता अपना हाल गर एहतियात हम न करेंगे तो है वबाल अब आने वाली नस्लों का कुछ तो करो ख़याल पानी को इस्ति'माल करो एहतियात से और इस की देख-भाल करो एहतियात से