एक हैं अपने पेटू भाई खाते हैं दिन रात मलाई हर दम चरना काम है इन का पेटू यूँही नाम है इन का नन्ही सीमा को बहला कर ले लेते हैं बिस्कुट आ कर रो देती है बेबी रोज़ी छीनते हैं जब उस की टॉफ़ी रंग शरारत इक दिन लाई बैठे बैठे शामत आई कुंडी में रक्खी थी मिठाई अम्मी ने कमरे में छुपाई पेटू भाई ने जब देखा मुँह में झट पानी भर आया सोचा दिल में माल है अच्छा हाथ लगे तो फिर क्या कहना बर्फ़ी लड्डू बालू-शाही ख़ूब मज़े ले ले कर खाई शाम को जब अम्मी ने सोचा देखें कुंडी में है क्या आ कर जब अलमारी देखी पाई कुंडी बिल्कुल ख़ाली चौंक उठीं फिर ग़ुस्सा आया पेटू साहब को गर्माया होने लगी जब ख़ूब पिटाई तौबा की और जान छुड़ाई पिटते भी हैं खाते भी हैं रोते भी हैं गाते भी हैं