दादी का पानदान ठिकाने लगा दिया फिर आज इस शरीर ने ज़मज़म गिरा दिया दादा ने आसमान की जानिब निगाह की गोदी में जम गया तो मुसल्ला उठा दिया चलने लगा तो साए फ़रिश्तों ने कर दिए परियों ने रास्ते में परों को बिछा दिया यूँ हँस दिया कि जैसे जज़ा बाँट दी गई यूँ लब-कुशा हुआ कि गुलिस्ताँ बना दिया सब इल्तिजाएँ उस के लिए सिर्फ़ हो गईं रख ली ख़ुदा ने लाज दिया तो सिवा दिया