मन भी सूना आँगन भी सूना आँगन सूना सूना सब संसार पड़ा सूनी अब ये सेज पड़ी है कब तू आ कर प्रेम बिराजे अँधियारे नैनन में छाए द्वारे द्वारे ढूँढ के आए फिर भी तेरा ठोर न जाना कठिन बड़ा है तुझ को पाना चुपके से कानों में कह जा ख़ुशियों का सन्देस सुना जा प्रेम तू अपनी डगर बता जा क्या तू जोगन बन बैठी दूर कहीं माया से छुप कर तू बन गई अनोखी देख री तेरे सोग में कैसा हाल किया हम ने अपना दुख के कंकर पत्थर चुनते कोमल हाथ हैं पथराए जीवन के रस्ते पर बिखरे काँटे सौ सौ डंक उठाए नफ़रत की आँधी से धुँदले पड़ गए चंदा तारे घिर आई है चारों ओर देख घटा घनघोर आँखों से ओझल है अम्बर पाप का झोंका चले भयंकर हलचल मच गई बाहर अंदर चारों ओर बगूले उड़ते इधर उधर बौलाए जैसे उन को खोज किसी की सर टकराते सर को उठाए सर को झुकाए सर के बल कुछ फिरते हैं सब को खोज है तेरी प्रेम कहाँ तू छुप कर बैठी हम से क्यों है रूठी आ देख कि तेरे न होने से क्या क्या दुख हम ने झेले प्रेम-पुजारी जितने थे सब बन गए अत्याचारी ख़ुद ही अत्याचार करे है बन बैठे बेचारे अपने अत्याचार को भोगे कैसे खेल निराले लेकिन उन के मन में कैसी ज्वाला जाग उठी है अब तो तेरी ही उन को बस अंतिम आस लगी है ऐ जोगन क्या तू भी ढूँढे कोई प्रेम-पुजारी उस की खोज में बन गई है तू बिल्कुल ही बन-बासी मन में झाँक के देख ले सब के तेरी चाह बसी है दूरी तेरी भड़काए है अब तो मन में डाह और हमारे होंटों का हर शब्द बना है आह प्रेम कहे तब मीठे बोल मत आँसुओं के मोती रोल भूले-बिसरे प्रेम-पुजारी प्रेम की जोगन तेरी लगन में खोए हुए क़िस्मत के तारे क्यों तू ढूँढे नील गगन में आन के बस जा मेरे मन में प्रेम की मुद्रा प्यासे तन में लगी हिलोरे लेने जल्दी से पहचान ले मुझ को प्रेम ही दे निरवान भी तुझ को प्रेम की जोगन सजल सलोनी देती है संदेसा बस्ती बस्ती पर्बत पर्बत गाती गीत अलबेला मिट्टी की मूरत तुम को तो जाना है मिट्टी में जैसे फूल की पत्ती बिखरे मिल जाए मिट्टी में लेकिन ख़ुशबू बन कर फैले प्रेम सदा जीवन में प्रेम ही सारा जन जीवन है प्रेम ही तेरी छाया प्रेम ही दर्पन प्रेम ही महिमा प्रेम ही 'हानी' काया प्रेम ही भक्ती प्रेम ही शक्ति प्रेम ही तेरी मुक्ती