तआ'क़ुब By Nazm << नवा-ए-तल्ख़ ऐ बाद-ए-सबा >> रात शोर रहता है मुख़्तलिफ़ किताबों में अनगिनत हवालों से जागते सवालों का बोझ दिल पे रहता है डायरी के सीने से ज़िंदगी के पोशीदा राज़ राज़ सतरों का रात शोर करती है देख देख कर चेहरा ज़ह्न के दरीचे से झाँकते सवालों का Share on: