शैतान By Nazm << तारीख़ यही कहती है मौत हमारे तआ'क़ुब में... >> दुनिया मिटने वाली है ये ज़मीन पहाड़ फ़लक ये सूरज चाँद सितारे दरिया झील समुंदर बाग़ गुलाब और ख़ुशबू दश्त हो और जंगल सारे ख़ाक में मिल जाएँगे ज़ीस्त हमारी लोगो इक धोके का ही सौदा है शैताँ जानी दुश्मन है जो साथ हमारे रहता है और ज़ुल्मत की राह दिखाता है Share on: