देखता हूँ छा रही है हर तरफ़ शाम-ए-ग़ुर्बत आज हिन्दोस्तान में ये भी कोई ज़िंदगी है जब नहीं ख़ुश्क टुकड़ा क़िस्मत-ए-इंसान में सैंकड़ों फ़ाक़ों के मारे जा बसे क़ौम के फ़रज़ंद क़ब्रिस्तान में हाकिमों के सग हैं पलते दूध पर आप की दौलत से इंग्लिस्तान में पर तुम्हें मिलती नहीं नान-ए-जवीं जान आए किस तरह से जान में माल-ओ-दौलत जा रहा है रात-दिन लुट के इंग्लिस्तान में जापान में सब ग़ुलामी के करिश्मे हैं 'अली' आज ग़ुर्बत है जो हिन्दोस्तान में