चाँद निकला है ब-अंदाज़-ए-दिगर आज की शाम बारिश-ए-नूर है ता-हद्द-ए-नज़र आज की शाम ज़िंदगी नूर की आग़ोश में है जल्वा-नुमा कितना मसरूर है हर एक बशर आज की शाम यूँ तो होती है हक़ीक़त में हर इक शाम हसीं रहमतों बरकतों वाली है मगर आज की शाम मिस्ल-ए-ख़ुर्शीद जबीनों पे हैं सज्दों के निशाँ क़ल्ब-ए-मोमिन हुआ मानिंद-ए-क़मर आज की शाम हैं ज़िया-बार मोहब्बत के सभी नक़्श-ओ-निगार दिल की दुनिया है बहारों का नगर आज की शाम सूरत-ए-काहकशाँ हो गई हर राहगुज़र ज़र्रा ज़र्रा नज़र आता है गुहर आज की शाम अहल-ए-ज़र ही नहीं मुफ़्लिस भी हैं शादाँ शादाँ ग़म-नसीबों को मिला ग़म से मफ़र आज की शाम गुलशन-ए-दिल में महकते हैं मसर्रत के गुलाब ले के आई है मोहब्बत की सहर आज की शाम नाज़िश-ए-रंग-ए-बहाराँ है हर इक नज़्ज़ारा कितना रंगीन है अंदाज़-ए-नज़र आज की शाम