तजस्सुस By Nazm << जवाब सावन से वो प्यार करे >> एक बार सिर्फ़ एक बार आती हो दबे पाँव और दबे पाँव ही गुज़र जाती हो तुम्हारी आमद और साअ'तों का क़याम कितना मुख़्तसर है लेकिन कितना फ़ख़्र-आवर मगर जहाँ तुम बार-बार पलट पलट कर जाती हो वहाँ भी तुम्हारे यही मा'नी हैं बहार Share on: