बिगड़ जाती है क्यूँ बन बन के हर तदबीर भारत की बना दे या ख़ुदा बिगड़ी हुई तक़दीर भारत की भड़क ऐ आतिश-ए-ग़ैरत उछल ऐ जोश-ए-आज़ादी कि अब हम से सही जाती नहीं तहक़ीर भारत की जफ़ा-कारो सँभल जाओ जला कर ख़ाक कर देगी हमारे दिल से उठ कर आह-ए-पुर-तासीर भारत की नहीफ़-ओ-ज़ार पाबंद-ए-सलासिल बे-ज़र-ओ-बे-पर है कितनी जाँ-गुदाज़-ओ-दिल-शिकन तस्वीर भारत की मुसीबत की घड़ी है दर्द-मंदान-ए-वतन आओ ख़बर लो ज़ख़्म-ख़ुर्दा ग़म-ज़दा दिल-गीर भारत की जो परवानों की सूरत शम-ए-आज़ादी पे जलते हैं बढ़ाएँगे ज़माने में वही तौक़ीर भारत की तड़प हो गर हमारे दिल में 'साबिर' बहर-ए-आज़ादी तो इक झटके में रख दें तोड़ कर ज़ंजीर भारत की