तस्कीन के हीरे By Nazm << वक़्त के क़दम शो'ले >> रिश्तों के समुंदर में कुछ ऐसे जज़ीरे हैं हर सम्त जहाँ बिखरे तस्कीन के हीरे हैं लेकिन वो भला क्यूँकर हीरे ये कभी पाए अमवाज-ए-त'अल्लुक़ की शोरिश से जो घबराए Share on: