फिर दिल है आज ग़र्क़-ए-तमन्ना तिरे लिए आ मुज़्तरिब है इश्क़ की दुनिया तिरे लिए वहशत बरस रही है गुलिस्ताँ में हर तरफ़ है चाक-चाक दामन-ए-सहरा तिरे लिए तेरी निगाह-ए-मस्त की मुश्ताक़ है बहार साग़र में है ये लर्ज़िश-ए-सहबा तिरे लिए मुद्दत से आरज़ू-ए-तमाशा है सोगवार मुद्दत से महव-ए-दर्द है दुनिया तिरे लिए दिल और चश्म-ए-शौक़ की मंज़िल के दरमियाँ वा हे मसर्रतों का दरीचा तिरे लिए ये चाँदनी ये मौज-ए-रवाँ और ये दो जाम आ देख एहतिमाम है क्या क्या तिरे लिए ये सब्ज़ा-ए-लतीफ़ ये भीगी हुई हवा इक गुल्सिताँ है साहिल-ए-दरिया तिरे लिए 'जौहर' कहाँ हयात की ये कश्मकश कहाँ है मेरी ज़िंदगी की तमन्ना तिरे लिए