कितनी मीठी ज़बाँ कैसी प्यारी ज़बाँ मेरी उर्दू ज़बाँ फ़ख़्र-ए-हिन्दोस्ताँ इस में राधा के पायल की झंकार है ज़ुल्फ़-ए-ज़ेब-उन-निसा की भी महकार है इस में झांसी की रानी की ललकार है साज़-ओ-नग़्मा के हम-राह तलवार है उस के दामन में हैं कितनी रंगीनियाँ मेरी उर्दू ज़बाँ फ़ख़्र-ए-हिन्दोस्ताँ हिन्द माता की बेटी है उर्दू ज़बाँ साँवली चुलबुली नौजवाँ गुल-फ़िशाँ हिन्दू मुस्लिम के इख़्लास की दास्ताँ इत्तिहाद-ओ-मोहब्बत का क़ौमी निशाँ क्यों इसे ग़ैर कहता है ना-क़दर-दाँ मेरी उर्दू ज़बाँ फ़ख़्र-ए-हिन्दोस्ताँ इस में सरमस्ती-ए-जाम-ए-शीराज़ है नज्द का सोज़ है हिन्द का साज़ है अपनी हर-दिल-अज़ीज़ी में मुम्ताज़ है अहल-ए-हिन्दोस्ताँ की ये आवाज़ है इस को कहते हैं सब दिल-कश-ओ-ख़ुश-बयाँ मेरी उर्दू ज़बाँ फ़ख़्र-ए-हिन्दोस्ताँ बोली जाती है कश्मीर से रास तक समझी जाती है गुजरात मद्रास तक ग़ैरियत की नहीं इस में बू-बास तक नफ़रतों का नहीं इस को एहसास तक ख़ास हिन्दोस्तानी है उर्दू ज़बाँ मेरी उर्दू ज़बाँ फ़ख़्र-ए-हिन्दोस्ताँ कह रही है ये भारत से उर्दू ज़बाँ मुझ से नाराज़ क्यों मादर-ए-मेहरबाँ तू मिरी मैं तिरी हमदम-ओ-राज़-दाँ फिर लगा ले गले से मुझे मेरी माँ 'ताहिरा' कुछ परेशाँ है उर्दू ज़बाँ मेरी उर्दू ज़बाँ फ़ख़्र-ए-हिन्दोस्ताँ