वक़्त By Nazm << काँटा हेलो >> वक़्त अपने साथ सब ख़्वाहिशें समेट कर चला गया जंगलों की धूप में रास्ते बिखर गए तुम किधर चले गए मैं कहाँ पे आ गया हर तरफ़ थी रौशनी पर दिखाई क्या दिया वक़्त अपने साथ सब ख़्वाहिशें समेट कर चला गया Share on: