वा'दे की शब By Nazm << काश टूटती हुई क़द्रों का अलमि... >> वा'दे की शब आँगन की परछाईं से तुम डर सकती हो ज़ीने से उतरते वक़्त पाँव में मोच भी आ सकती है सहेलियाँ हाथों में मेहंदी रचा सकती हैं बहाने बहुत कुछ हो सकते हैं मेरा दिल पत्थर नहीं दर्द भी हो सकता है Share on: