वागुज़ारी By Nazm << मौत हमारे तआ'क़ुब में... उर्दू >> मोहब्बतें वागुज़ार कराने निकला था नफ़रतों की दहलीज़ छू के आ रहा हूँ और मुनाजात की कश्कोल के दरमियान खड़ा अज़िय्यतों के कर्ब की चुभन सह रहा हूँ लम्हों की शिकस्तगी का निशान बन कर अस्र-ए-हाज़िर की ख़ामुशी पर रक़्साँ हूँ Share on: