याद By Nazm << मोहब्बत मिर्ज़ा 'ग़ालिब' >> रात तक ख़यालों में यादों का क़ाफ़िला कभी जगाता रहा कभी थपकी दे कर सुलाता रहा आख़िर धड़कनों का साज़ ख़्वाबीदा आग़ोश में डूबता चला गया Share on: