दीवार पे मज़दूर की तस्वीर सजा कर अख़बार के कोने में ख़बर एक लगा कर कुछ कार्ड भी मज़दूर के हाथों में उठा कर दो-चार ग़रीबों को भी धरती पे बिठा कर उन में से किसी एक को स्टेज पर ला कर फिर उस की कहानी सभी लोगों को सुना कर तक़रीर करा कर तो कभी ताली बजा कर मज़दूर को मज़दूर का इरफ़ान दिला कर और अपने तईं कार-ए-मुक़द्दस को निभा कर हर साल ये एहसान जताते हैं बड़े लोग मज़दूर का फिर जश्न मनाते हैं बड़े लोग