मोहब्बत ज़िंदगी का आरिज़ी ठिकाना है और शहर में तफ़रीही मक़ामात की क़िल्लत आबादी में इज़ाफ़े की असल वजह ये बात बहुत कम लोग जानते हैं किराए के मकानों में पैदा होने वाले बच्चे आँखों में दीवारें ले कर पैदा होते हैं और छतों के ख़्वाब देखते हुए ज़िंदगी का ज़ियादा हिस्सा नाकामी का ताना सुनते हुए गुज़ार देते हैं ताना सुनने वाली आँखों में आँसू और शिकायत एक फ़ितरी अमल है जिस का रद्द-ए-अमल भी आबादी में इज़ाफ़े की वजह बन सकता है