ज़िंदगी ख़्वाब इक सुहाना है ज़िंदगी दर्द का फ़साना है ज़िंदगी रंज-ओ-ग़म का लम्हा भी ज़िंदगी है नशात-ओ-नग़्मा भी ज़िंदगी शेर-ओ-नग़मगी का ख़ुमार ज़िंदगी कैफ़-ओ-सरख़ुशी की बहार ज़िंदगी नक़्श-ए-ना-मुरादी भी ज़िंदगी रक़्स भी है शादी भी ज़िंदगी फूल है कभी है ख़ार तख्त-ए-शाही है और कभी है दार सात रंगों का ये नगीना है ज़िंदगी बे-बहा ख़ज़ीना है क़द्र जो रंज-ओ-ग़म की जानेगा 'शौक़' वो ज़िंदगी को मानेगा