ज़िंदगी महज़ साँसों का जोड़ ही नहीं लम्हों का खेल भी है लम्हों के अंदर कई कई लम्हे कुछ ख़ामोश बोलते हुए लम्हे कुछ मुंतशिर कुछ मुंतज़िर लम्हे लम्हों के अंदर और भी कई कई लम्हे कुछ मख़्सूस लम्हात ख़ास औक़ात कुछ ज़ह्न में ठहरे हुए कुछ हाथ की रेखाओं में छुपे हुए कई यादें बातें मुलाक़ातें हाँ मुलाक़ातें उन मोड़ों से जहाँ से खुलते हैं और भी कई कई मोड़ मक़ाम पे पहुँचने के पहले थक जाते हैं कई कई मोड़ टूट जाते हैं कई कई मोड़ छूट जाते हैं कई कई मोड़ वो थके हुए मोड़ वो टूटे हुए मोड़ वो छूटे हुए मोड़ सिमट जाते हैं लम्हात में औक़ात में ज़ह्न में कहीं ठहर जाने को और मक़ाम मक़ाम कभी मिलता भी है क्या कोई राह किसी मक़ाम पे पहुँचती भी है क्या बस रह जाते हैं लम्हे कहीं ज़ह्न में ज़िंदगी महज़ साँसों का जोड़ ही नहीं लम्हों का खेल भी है