शारदा

Shayari By

नज़ीर ब्लैक मार्कीट से विस्की की बोतल लाने गया। बड़े डाकख़ाने से कुछ आगे बंदरगाह के फाटक से कुछ उधर सिगरेट वाले की दुकान से उसको स्काच मुनासिब दामों पर मिल जाती थी। जब उसने पैंतीस रुपये अदा करके काग़ज़ में लिपटी हुई बोतल ली तो उस वक़्त ग्यारह बजे थे दिन के। यूं तो वो रात को पीने का आदी था मगर उस रोज़ मौसम ख़ुशगवार होने के बाइ’स वो चाहता था कि सुबह ही से शुरू करदे और रात तक पीता रहे।
बोतल हाथ में पकड़े वो ख़ुश ख़ुश घर की तरफ़ रवाना हुआ। उसका इरादा था कि बोरीबंदर के स्टैंड से टैक्सी लेगा। एक पैग उसमें बैठ कर पिएगा और हल्के हल्के सुरूर में घर पहुंच जाएगा। बीवी मना करेगी तो वो उससे कहेगा, “मौसम देख कितना अच्छा है। फिर वो उसे वो भोंडा सा शे’र सुनाएगा

की फ़रिश्तों की राह अब्र ने बंद
जो गुनाह कीजिए सवाब है आज [...]

बर्फ़बारी से पहले

Shayari By

“आज रात तो यक़ीनन बर्फ़ पड़ेगी”, साहिब-ए-ख़ाना ने कहा। सब आतिश-दान के और क़रीब हो के बैठ गए। आतिश-दान पर रखी हुई घड़ी अपनी मुतवाज़िन यकसानियत के साथ टक-टक करती रही। बिल्लियाँ कुशनों में मुँह दिए ऊँघ रही थीं, और कभी-कभी किसी आवाज़ पर कान खड़े कर के खाने के कमरे के दरवाज़े की तरफ़ एक आँख थोड़ी सी खोल कर देख लेती थीं। साहिब-ए-ख़ाना की दोनों लड़कियाँ निटिंग में मशग़ूल थीं। घर के सारे बच्चे कमरे के एक कोने में पुराने अख़बारों और रिसालों के ढेर पर चढ़े कैरम में मसरूफ़ थे।
बौबी मुमताज़ खिड़की के क़रीब ख़ामोश बैठा इन सबको देखता रहा।

“हाँ आज रात तो क़तई’ बर्फ़ पड़ेगी”, साहिब-ए-ख़ाना के बड़े बेटे ने कहा।
“बड़ा मज़ा आएगा। सुब्ह को हम स्नोमैन बनाएँगे”, एक बच्चा चिल्लाया। [...]

रिआयत

Shayari By

“मेरी आँखों के सामने मेरी जवान बेटी को न मारो।”
“चलो इसी की मान लो… कपड़े उतार कर हाँक दो एक तरफ़।”


उलहना

Shayari By

“देखो यार। तुम ने ब्लैक मार्केट के दाम भी लिए और ऐसा रद्दी पेट्रोल दिया कि एक दुकान भी न जली।”


सॉरी

Shayari By

छुरी पेट चाक करती हुई नाफ़ के नीचे तक चली गई।
इज़ार-बंद कट गया।

छुरी मारने वाले के मुँह से दफ़्अतन कलमा-ए-तास्सुफ़ निकला,
“चे चे चे चे… मिश्टेक हो गया।” [...]

हैवानियत

Shayari By

बड़ी मुश्किल से मियाँ-बीवी घर का थोड़ा असासा बचाने में कामयाब हुए। जवान लड़की थी, उसका कोई पता न चला। छोटी सी बच्ची थी उसको माँ ने अपने सीने के साथ चिमटाये रखा। एक भूरी भैंस थी उसको बलवाई हाँक कर ले गए। गाय बच गई मगर उसका बछड़ा न मिला।
मियाँ-बीवी, उनकी छोटी लड़की और गाय एक जगह छुपे हुए थे। सख़्त अंधेरी रात थी। बच्ची ने डर के रोना शुरू किया। ख़ामोश फ़ज़ा में जैसे कोई ढोल पीटने लगा। माँ ने ख़ौफ़-ज़दा हो कर बच्ची के मुँह पर हाथ रख दिया। कि दुश्मन सुन न ले। आवाज़ दब गई। बाप ने एहतियातन ऊपर गाढ़े की मोटी चादर डाल दी।

थोड़ी देर के बाद दूर से किसी बछड़े की आवाज़ आई। गाय के कान खड़े हुए। उठी और इधर उधर दीवानावार दौड़ती डकारने लगी। उसको चुप कराने की बहुत कोशिश की गई मगर बे-सूद।
शोर सुन कर दुश्मन आ पहुँचा। दूर से मशा'लों की रौशनी दिखाई। बीवी ने अपने मियाँ से बड़े ग़ुस्से के साथ कहा, “तुम क्यूँ उस हैवान को अपने साथ ले आए थे।” [...]

Don't have an account? Sign up

Forgot your password?

Error message here!

Error message here!

Hide Error message here!

Error message here!

OR
OR

Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link to create a new password.

Error message here!

Back to log-in

Close