सभी हिंदी शायरी

ग़ुबार-ए-दर्द से सारा बदन अटा निकला

ग़ुबार-ए-दर्द से सारा बदन अटा निकला ...

abdul-hafiz-naeemi

ग़ुबार-ए-दर्द से सारा बदन अटा निकला

ग़ुबार-ए-दर्द से सारा बदन अटा निकला ...

abdul-hafiz-naeemi

मुक़द्दर ने कहाँ कोई नया पैग़ाम लिक्खा है

मुक़द्दर ने कहाँ कोई नया पैग़ाम लिक्खा है ...

abdul-hafeez-sahil-qadri

शश-जिहत नुह फ़लक आएँगे नज़र दो-बटा-तीन

शश-जिहत नुह फ़लक आएँगे नज़र दो-बटा-तीन ...

josh-malsiani

क्या गुज़र कीजिए सय्याद-ए-दिल-आज़ार के पास

क्या गुज़र कीजिए सय्याद-ए-दिल-आज़ार के पास ...

abdul-hadi-wafa

क्या गुज़र कीजिए सय्याद-ए-दिल-आज़ार के पास

क्या गुज़र कीजिए सय्याद-ए-दिल-आज़ार के पास ...

abdul-hadi-wafa

हर एक को हर मर्तबा हासिल नहीं होता

हर एक को हर मर्तबा हासिल नहीं होता ...

abdul-hadi-wafa

हर एक को हर मर्तबा हासिल नहीं होता

हर एक को हर मर्तबा हासिल नहीं होता ...

abdul-hadi-wafa

हैरत को मुज़्दा गर्म है बाज़ार-ए-आईना

हैरत को मुज़्दा गर्म है बाज़ार-ए-आईना ...

abdul-hadi-wafa

हैरत को मुज़्दा गर्म है बाज़ार-ए-आईना

हैरत को मुज़्दा गर्म है बाज़ार-ए-आईना ...

abdul-hadi-wafa

दो-जहाँ को निगह-ए-इज्ज़ से अक्सर देखा

दो-जहाँ को निगह-ए-इज्ज़ से अक्सर देखा ...

abdul-hadi-wafa

दो-जहाँ को निगह-ए-इज्ज़ से अक्सर देखा

दो-जहाँ को निगह-ए-इज्ज़ से अक्सर देखा ...

abdul-hadi-wafa

नाला-ए-दिल निकल न जाए कहीं

नाला-ए-दिल निकल न जाए कहीं ...

abdul-ghafoor-saqi

नाला-ए-दिल निकल न जाए कहीं

नाला-ए-दिल निकल न जाए कहीं ...

abdul-ghafoor-saqi

टुकड़े नहीं हैं आँसुओं में दिल के चार पाँच

टुकड़े नहीं हैं आँसुओं में दिल के चार पाँच ...

bahadur-shah-zafar

एक बुझाओ एक जलाओ ख़्वाब का क्या है

एक बुझाओ एक जलाओ ख़्वाब का क्या है ...

daniyal-tareer

फ़त्ह कितनी ख़ूब-सूरत है मगर कितनी गराँ

फ़त्ह कितनी ख़ूब-सूरत है मगर कितनी गराँ ...

abdul-aziz-khalid

मोना लिसा

परियों की सर-ज़मीन को एक रास्ता जाता है शाह बलूत और सनोबर के जंगलों में से गुज़रता हुआ जहाँ रुपहली नद्दियों के किनारे चेरी और बादाम के सायों में ख़ूबसूर...

क़ुर्रतुलऐन-हैदर

अपनी हस्ती से था ख़ुद मैं बद-गुमाँ कल रात को

अपनी हस्ती से था ख़ुद मैं बद-गुमाँ कल रात को ...

abdul-aleem-aasi

अपनी हस्ती से था ख़ुद मैं बद-गुमाँ कल रात को

अपनी हस्ती से था ख़ुद मैं बद-गुमाँ कल रात को ...

abdul-aleem-aasi
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