सभी हिंदी शायरी

क्यूँ शौक़ बढ़ गया रमज़ाँ में सिंगार का

क्यूँ शौक़ बढ़ गया रमज़ाँ में सिंगार का ...

ahmad-husain-mail

जुम्बिश में ज़ुल्फ़-ए-पुर-शिकन एक इस तरफ़ एक उस तरफ़

जुम्बिश में ज़ुल्फ़-ए-पुर-शिकन एक इस तरफ़ एक उस तरफ़ ...

ahmad-husain-mail

हो गए मुज़्तर देखते ही वो हिलती ज़ुल्फ़ें फिरती नज़र हम

हो गए मुज़्तर देखते ही वो हिलती ज़ुल्फ़ें फिरती नज़र हम ...

ahmad-husain-mail

चोरी से दो घड़ी जो नज़ारे हुए तो क्या

चोरी से दो घड़ी जो नज़ारे हुए तो क्या ...

ahmad-husain-mail

ये भी ग़लत है

कल बाज़ार में भय्या शाफ़ी ...

ahmad-hatib-siddiqi

ये बात समझ में आई नहीं

ये बात समझ में आई नहीं ...

ahmad-hatib-siddiqi

वो भी ग़लत

गुड्डू का भी हाल सुनाएँ ...

ahmad-hatib-siddiqi

सब लोगों से आगे बढ़

जूँही सूरज चढ़ता है ...

ahmad-hatib-siddiqi

कभी तुम ने कुछ तो दिया नहीं कभी हम ने कुछ तो लिया नहीं

कभी तुम ने कुछ तो दिया नहीं कभी हम ने कुछ तो लिया नहीं ...

ahmad-hamesh

जब से मैं ख़ुद को खो रहा हूँ

जब से मैं ख़ुद को खो रहा हूँ ...

ahmad-hamesh

याद क्या क्या लोग दश्त-ए-बे-कराँ में आए थे

याद क्या क्या लोग दश्त-ए-बे-कराँ में आए थे ...

ahmad-hamdani

नहीं मिलते वो अब तो क्या बात है

नहीं मिलते वो अब तो क्या बात है ...

ahmad-hamdani

ख़याल-ओ-ख़्वाब से घर कब तलक सजाएँ हम

ख़याल-ओ-ख़्वाब से घर कब तलक सजाएँ हम ...

ahmad-hamdani

दिलों को रंज ये कैसा है ये ख़ुशी क्या है

दिलों को रंज ये कैसा है ये ख़ुशी क्या है ...

ahmad-hamdani

मुजस्समा

ऐ सियह-फ़ाम हसीना तिरा 'उर्यां पैकर ...

ahmad-faraz

तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा

तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा

ahmad-faraz

पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तो

पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तो

ahmad-faraz

जो ज़हर पी चुका हूँ तुम्हीं ने मुझे दिया

जो ज़हर पी चुका हूँ तुम्हीं ने मुझे दिया

ahmad-faraz

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो

ahmad-faraz

ढूँड उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती

ढूँड उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती

ahmad-faraz
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