सभी हिंदी शायरी

किसी ने पहले शिकायत की इंतिहा कर दी

किसी ने पहले शिकायत की इंतिहा कर दी ...

ahmad-kamal-hashmi

कीजे मिरा यक़ीन कहा ना नहीं हूँ मैं

कीजे मिरा यक़ीन कहा ना नहीं हूँ मैं ...

ahmad-kamal-hashmi

कह चुका हूँ मैं कई बार नहीं मानता मैं

कह चुका हूँ मैं कई बार नहीं मानता मैं ...

ahmad-kamal-hashmi

जुड़ जाते तोड़े जाते अगर दरमियाँ से हम

जुड़ जाते तोड़े जाते अगर दरमियाँ से हम ...

ahmad-kamal-hashmi

जीते हुए घबराते हैं ये लोग 'अजब हैं

जीते हुए घबराते हैं ये लोग 'अजब हैं ...

ahmad-kamal-hashmi

हर आदमी ने रूप है धारा फ़क़ीर का

हर आदमी ने रूप है धारा फ़क़ीर का ...

ahmad-kamal-hashmi

गिर रहा हूँ सँभल रहा हूँ मैं

गिर रहा हूँ सँभल रहा हूँ मैं ...

ahmad-kamal-hashmi

दुनिया का मैं ग़ुलाम अभी तक नहीं हुआ

दुनिया का मैं ग़ुलाम अभी तक नहीं हुआ ...

ahmad-kamal-hashmi

दिल जानिब-ए-यज़ीद तिरा ख़म न हो कहीं

दिल जानिब-ए-यज़ीद तिरा ख़म न हो कहीं ...

ahmad-kamal-hashmi

देर तक आज तिरे बारे में सोचा हम ने

देर तक आज तिरे बारे में सोचा हम ने ...

ahmad-kamal-hashmi

चौखट पे कि रस्ते पे रखो मेरी बला से

चौखट पे कि रस्ते पे रखो मेरी बला से ...

ahmad-kamal-hashmi

बैठे बैठे मैं गुलिस्तान भी हो जाता हूँ

बैठे बैठे मैं गुलिस्तान भी हो जाता हूँ ...

ahmad-kamal-hashmi

बचपन है एक ख़्वाब जवानी फ़रेब है

बचपन है एक ख़्वाब जवानी फ़रेब है ...

ahmad-kamal-hashmi

'अजीब तरह का मौसम रहा है आँखों में

'अजीब तरह का मौसम रहा है आँखों में ...

ahmad-kamal-hashmi

आँख उन की तो कुछ और ही कहती है ज़बाँ और

आँख उन की तो कुछ और ही कहती है ज़बाँ और ...

ahmad-kamal-hashmi

शीराज़ की मय मर्व के याक़ूत सँभाले

शीराज़ की मय मर्व के याक़ूत सँभाले ...

ahmad-jahangir

हुक्म दे क़िर्तास पर रंगीं नज़ारा फूँक दूँ

हुक्म दे क़िर्तास पर रंगीं नज़ारा फूँक दूँ ...

ahmad-jahangir

गाथा पढ़ कर आतिश धोंकी गंगा से अश्नान

गाथा पढ़ कर आतिश धोंकी गंगा से अश्नान ...

ahmad-jahangir

लगी थी 'उम्र परिंदों को घर बनाते हुए

लगी थी 'उम्र परिंदों को घर बनाते हुए ...

ahmad-irfan

निकली जो रूह हो गए अजज़ा-ए-तन ख़राब

निकली जो रूह हो गए अजज़ा-ए-तन ख़राब ...

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