लड़का: (हिसाब के टीचर से) जनाब हिन्दी के मास्टर साहब हिन्दी में, उर्दू के मास्टर साहब उर्दू में, और अंग्रेज़ी के मास्टर साहब अंग्रेज़ी में पढ़ाते हैं। फिर आप बिल्कुल हिसाब ही की ज़बान में क्यों नहीं पढ़ाते हैं? मास्टर साहब: ज़्यादा तीन-पाँच मत करो, नौ-दो-ग्यारह हो जाओ। वरना तीन-तेरह कर दूँगा।
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