सभी हिंदी शायरी

बादा-ख़ाने की रिवायत को निभाना चाहिए

बादा-ख़ाने की रिवायत को निभाना चाहिए ...

aleem-usmani

इक राज़-ए-ग़म-ए-दिल जब ख़ुद रह न सका दिल तक

इक राज़-ए-ग़म-ए-दिल जब ख़ुद रह न सका दिल तक ...

aleem-masroor

चले थे भर के रेत जब सफ़र की जिस्म-ओ-जाँ में हम

चले थे भर के रेत जब सफ़र की जिस्म-ओ-जाँ में हम ...

aleem-afsar

ये बात वक़्त से पहले कहाँ समझते हैं

ये बात वक़्त से पहले कहाँ समझते हैं ...

alam-khursheed

तिरे ख़याल को ज़ंजीर करता रहता हूँ

तिरे ख़याल को ज़ंजीर करता रहता हूँ ...

alam-khursheed

मैं जिस जगह भी रहूँगा वहीं पे आएगा

मैं जिस जगह भी रहूँगा वहीं पे आएगा ...

alam-khursheed

कोई मौसम न कभी कर सका शादाब हमें

कोई मौसम न कभी कर सका शादाब हमें ...

alam-khursheed

हम को लुत्फ़ आता है अब फ़रेब खाने में

हम को लुत्फ़ आता है अब फ़रेब खाने में ...

alam-khursheed

मंज़िल-ए-ख़्वाब है और महव-ए-सफ़र पानी है

मंज़िल-ए-ख़्वाब है और महव-ए-सफ़र पानी है ...

akram-mahmud

बैठा हूँ अपनी ज़ात का नक़्शा निकाल के

बैठा हूँ अपनी ज़ात का नक़्शा निकाल के ...

akram-jazib

अपने अल्फ़ाज़-ओ-म'आनी से निकल आया है

अपने अल्फ़ाज़-ओ-म'आनी से निकल आया है ...

akram-jazib

मक़ाम-ए-आदमियत इम्तिहाँ की मंज़िल है

मक़ाम-ए-आदमियत इम्तिहाँ की मंज़िल है ...

akmal-alduri

तुझ से ऐ ज़ीस्त हमें जितने हसीं ख़्वाब मिले

तुझ से ऐ ज़ीस्त हमें जितने हसीं ख़्वाब मिले ...

akhtar-ziai

मैं समझता था हक़ीक़त आश्ना हो जाएगा

मैं समझता था हक़ीक़त आश्ना हो जाएगा ...

akhtar-ziai

बुर्रिश-ए-तेग़ भी है फूल की महकार भी है

बुर्रिश-ए-तेग़ भी है फूल की महकार भी है ...

akhtar-ziai

रग-ए-जाँ में उतर कर बोलता है

रग-ए-जाँ में उतर कर बोलता है ...

akhtar-siddiqui

काँटों से दिल लगाओ जो ता-उम्र साथ दें

काँटों से दिल लगाओ जो ता-उम्र साथ दें

akhtar-shirani

चमन में रहने वालों से तो हम सहरा-नशीं अच्छे

चमन में रहने वालों से तो हम सहरा-नशीं अच्छे

akhtar-shirani

'उम्र-भर की तल्ख़ बेदारी का सामाँ हो गईं

'उम्र-भर की तल्ख़ बेदारी का सामाँ हो गईं ...

akhtar-shirani

निकहत-ए-ज़ुल्फ़ से नींदों को बसा दे आ कर

निकहत-ए-ज़ुल्फ़ से नींदों को बसा दे आ कर ...

akhtar-shirani
PreviousPage 19 of 642Next