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ख़त जो तेरे नाम लिखा, तकिए में छुपा के रखता हूँ
ख़त जो तेरे नाम लिखा, तकिए में छुपा के रखता हूँ ...
रास्ते के पेच-ओ-ख़म क्या शय हैं सोचा ही नहीं
रास्ते के पेच-ओ-ख़म क्या शय हैं सोचा ही नहीं ...
कभी अहल-ए-मुहब्बत यूँ न ख़ौफ़-ए-जिस्म-ओ-जाँ करते
कभी अहल-ए-मुहब्बत यूँ न ख़ौफ़-ए-जिस्म-ओ-जाँ करते ...
बहारों से ख़िज़ाँ तक यूँही सैर-ए-गुलसिताँ कर के
बहारों से ख़िज़ाँ तक यूँही सैर-ए-गुलसिताँ कर के ...
ये क्या हालत बना रक्खी है ये आसार कैसे हैं
ये क्या हालत बना रक्खी है ये आसार कैसे हैं ...
ये बरसों का त'अल्लुक़ तोड़ देना चाहते हैं हम
ये बरसों का त'अल्लुक़ तोड़ देना चाहते हैं हम ...
तिरे जैसा मेरा भी हाल था न सुकून था न क़रार था
तिरे जैसा मेरा भी हाल था न सुकून था न क़रार था ...