सभी हिंदी शायरी
शैख़ को जन्नत मुबारक हम को दोज़ख़ है क़ुबूल
शैख़ को जन्नत मुबारक हम को दोज़ख़ है क़ुबूल
रिदा कोई दिलरुबा नहीं है निगह कोई दिल-नशीं नहीं है
रिदा कोई दिलरुबा नहीं है निगह कोई दिल-नशीं नहीं है ...
मुतमइन भी किस क़दर थे अपनी क़ुर्बानी से हम
मुतमइन भी किस क़दर थे अपनी क़ुर्बानी से हम ...
इस क़दर ज़ेहन में अब वाहिमे पड़ जाते हैं
इस क़दर ज़ेहन में अब वाहिमे पड़ जाते हैं ...