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हम ऐसी कुल किताबें क़ाबिल-ए-ज़ब्ती समझते हैं
हम ऐसी कुल किताबें क़ाबिल-ए-ज़ब्ती समझते हैं
हुए इस क़दर मोहज़्ज़ब कभी घर का मुँह न देखा
हुए इस क़दर मोहज़्ज़ब कभी घर का मुँह न देखा
उमीद टूटी हुई है मेरी जो दिल मिरा था वो मर चुका है
उमीद टूटी हुई है मेरी जो दिल मिरा था वो मर चुका है ...
रौशन दिल-ए-आरिफ़ से फ़ुज़ूँ है बदन उन का
रौशन दिल-ए-आरिफ़ से फ़ुज़ूँ है बदन उन का ...
मेस्मिरीज़्म के 'अमल में दह्र अब मशग़ूल है
मेस्मिरीज़्म के 'अमल में दह्र अब मशग़ूल है ...
कहाँ वो अब लुत्फ़-ए-बाहमी है मोहब्बतों में बहुत कमी है
कहाँ वो अब लुत्फ़-ए-बाहमी है मोहब्बतों में बहुत कमी है ...
इश्क़-ए-बुत में कुफ़्र का मुझ को अदब करना पड़ा
इश्क़-ए-बुत में कुफ़्र का मुझ को अदब करना पड़ा ...
बे-तकल्लुफ़ बोसा-ए-ज़ुल्फ़-ए-चलीपा लीजिए
बे-तकल्लुफ़ बोसा-ए-ज़ुल्फ़-ए-चलीपा लीजिए ...