सभी हिंदी शायरी

बहुत दिनों से मुझे तेरा इंतिज़ार है आ जा

बहुत दिनों से मुझे तेरा इंतिज़ार है आ जा ...

jameeluddin-aali

आँख थी सूजी हुई और रात भर सोया न था

आँख थी सूजी हुई और रात भर सोया न था ...

abdussamad-’tapish’

चेहरे तक उन के मस्त गई बे-ख़बर गई

चेहरे तक उन के मस्त गई बे-ख़बर गई ...

abdussalam-nadvi

कहने को हो चुका हूँ मैं फ़ारिग़-ब-रोज़गार

कहने को हो चुका हूँ मैं फ़ारिग़-ब-रोज़गार ...

abdussalam-asim

कभी मुड़ के फिर इसी राह पर न तो आए तुम न तो आए हम

कभी मुड़ के फिर इसी राह पर न तो आए तुम न तो आए हम ...

indira-varma

अब वो पहली सी शिद्दत कहाँ है

अब वो पहली सी शिद्दत कहाँ है ...

abdurrahman-momin

ऐ शरीफ़ इंसानो

ख़ून अपना हो या पराया हो ...

sahir-ludhianvi

ये किस ने कह दिया नाकामियों का ग़म नहीं होता

ये किस ने कह दिया नाकामियों का ग़म नहीं होता ...

abdur-rauf-shahid-ansari

मोना लिसा

परियों की सर-ज़मीन को एक रास्ता जाता है शाह बलूत और सनोबर के जंगलों में से गुज़रता हुआ जहाँ रुपहली नद्दियों के किनारे चेरी और बादाम के सायों में ख़ूबसूर...

क़ुर्रतुलऐन-हैदर

कुछ मधुर तानें फ़ज़ा में थरथरा कर रह गईं

कुछ मधुर तानें फ़ज़ा में थरथरा कर रह गईं

abdur-rahim-nashtar

शारदा

नज़ीर ब्लैक मार्कीट से विस्की की बोतल लाने गया। बड़े डाकख़ाने से कुछ आगे बंदरगाह के फाटक से कुछ उधर सिगरेट वाले की दुकान से उसको स्काच मुनासिब दामों पर...

सआदत-हसन-मंटो

मम्मद भाई

फ़ारस रोड से आप उस तरफ़ गली में चले जाइए जो सफ़ेद गली कहलाती है तो उसके आख़िरी सिरे पर आपको चंद होटल मिलेंगे। यूँ तो बंबई में क़दम क़दम पर होटल और रेस्तोर...

सआदत-हसन-मंटो

दश्त-ए-अफ़्कार में सूखे हुए फूलों से मिले

दश्त-ए-अफ़्कार में सूखे हुए फूलों से मिले ...

abdur-rahim-nashtar

बे-रोज़गार ही सही ख़ुद्दार मैं भी हूँ

बे-रोज़गार ही सही ख़ुद्दार मैं भी हूँ ...

abdur-rahim-nashtar

जानकी

पूना में रेसों का मौसम शुरू होने वाला था कि पेशावर से अ’ज़ीज़ ने लिखा कि मैं अपनी एक जान पहचान की औरत जानकी को तुम्हारे पास भेज रहा हूँ, उसको या तो पूना...

सआदत-हसन-मंटो

मेरा नाम राधा है

ये उस ज़माने का ज़िक्र है जब इस जंग का नाम-ओ-निशान भी नहीं था। ग़ालिबन आठ नौ बरस पहले की बात है जब ज़िंदगी में हंगामे बड़े सलीक़े से आते थे। आज कल की तरह न...

सआदत-हसन-मंटो

लग़्ज़िश-ए-साक़ी-ए-मय-ख़ाना ख़ुदा ख़ैर करे

लग़्ज़िश-ए-साक़ी-ए-मय-ख़ाना ख़ुदा ख़ैर करे ...

abdullateef-shauq

तमाम रात मिरे साथ फिरता रहता है

तमाम रात मिरे साथ फिरता रहता है ...

abdullah-nadeem

ज़िंदगी हम यूँ बिताते जाएँगे

ज़िंदगी हम यूँ बिताते जाएँगे ...

abdullah-minhaj-khan

ये और बात की सोहबत में हैं अमीनों की

ये और बात की सोहबत में हैं अमीनों की ...

abdullah-minhaj-khan
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