सभी हिंदी शायरी
बहुत दिनों से मुझे तेरा इंतिज़ार है आ जा
बहुत दिनों से मुझे तेरा इंतिज़ार है आ जा ...
कहने को हो चुका हूँ मैं फ़ारिग़-ब-रोज़गार
कहने को हो चुका हूँ मैं फ़ारिग़-ब-रोज़गार ...
कभी मुड़ के फिर इसी राह पर न तो आए तुम न तो आए हम
कभी मुड़ के फिर इसी राह पर न तो आए तुम न तो आए हम ...
ये किस ने कह दिया नाकामियों का ग़म नहीं होता
ये किस ने कह दिया नाकामियों का ग़म नहीं होता ...
मोना लिसा
परियों की सर-ज़मीन को एक रास्ता जाता है शाह बलूत और सनोबर के जंगलों में से गुज़रता हुआ जहाँ रुपहली नद्दियों के किनारे चेरी और बादाम के सायों में ख़ूबसूर...
कुछ मधुर तानें फ़ज़ा में थरथरा कर रह गईं
कुछ मधुर तानें फ़ज़ा में थरथरा कर रह गईं
शारदा
नज़ीर ब्लैक मार्कीट से विस्की की बोतल लाने गया। बड़े डाकख़ाने से कुछ आगे बंदरगाह के फाटक से कुछ उधर सिगरेट वाले की दुकान से उसको स्काच मुनासिब दामों पर...
मम्मद भाई
फ़ारस रोड से आप उस तरफ़ गली में चले जाइए जो सफ़ेद गली कहलाती है तो उसके आख़िरी सिरे पर आपको चंद होटल मिलेंगे। यूँ तो बंबई में क़दम क़दम पर होटल और रेस्तोर...
दश्त-ए-अफ़्कार में सूखे हुए फूलों से मिले
दश्त-ए-अफ़्कार में सूखे हुए फूलों से मिले ...
जानकी
पूना में रेसों का मौसम शुरू होने वाला था कि पेशावर से अ’ज़ीज़ ने लिखा कि मैं अपनी एक जान पहचान की औरत जानकी को तुम्हारे पास भेज रहा हूँ, उसको या तो पूना...
मेरा नाम राधा है
ये उस ज़माने का ज़िक्र है जब इस जंग का नाम-ओ-निशान भी नहीं था। ग़ालिबन आठ नौ बरस पहले की बात है जब ज़िंदगी में हंगामे बड़े सलीक़े से आते थे। आज कल की तरह न...
लग़्ज़िश-ए-साक़ी-ए-मय-ख़ाना ख़ुदा ख़ैर करे
लग़्ज़िश-ए-साक़ी-ए-मय-ख़ाना ख़ुदा ख़ैर करे ...